आखिर किसने किए मंत्रियों से पत्रकारों तक के फोन हैक

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नई दिल्ली। टीएलआई
विदेशी अखबारों की माने तो भारत के सैकड़ों प्रतिष्ठित लोगों के फोन हैक कर लिए गए हैं। इनमें मंत्रियों से लेकर देश के बड़े बड़े मीडिया घराने के पत्रकार भी शामिल हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने इस तरह के किसी भी दावे को खारिज कर दिया है। विदेशी अखबार फोन हैक करने के लिए जिसे जिम्मेदार बता रहे हैं वह है पेगास एक स्पाइवेयर यानी जासूसी साफ्टवेयर। दावा है कि इस सॉफ्टवेयर को एक इसराइली साइबर सुरक्षा कंपनी ने बनाया है। विशेषज्ञों का दावा है कि यह साफ्टवेयर जिस स्मार्टफोन में डाल दिया जाए उसे हैकर असानी से हैक कर लेता है। एक साइबर सुरक्षा कंपनी की रिपोर्ट की माने तो पेगासस आपको एन्क्रिप्टेड ऑडियो सुनने और एन्क्रिप्टेड संदेशों को पढ़ने लायक बना देता है। पेगासस के इस्तेमाल से हैक करने वाले को उस व्यक्ति के फ़ोन से जुड़ी सारी जानकारियां मिल सकती हैं।
रविवार को जारी एक बहुस्तरीय जांच रिपोर्ट के अनुसार तीन दर्जन से ज्यादा भारतीय पत्रकारों सहित दुनियाभर के करीब 180 पत्रकारों के फोन हैक किए गए हैं। जांच रिपोर्ट के अनुसार इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस सॉफ्टवेयर से ही भारत में कथित तौर पर 300 से ज्यादा प्रमाणित फोन नंबर हैक किए गए। इनमें दो मौजूदा केंद्रीय मंत्रियों, तीन विपक्षी नेताओं, 40 से ज्यादा पत्रकारों और सुरक्षा एजेंसियों के पूर्व तथा वर्तमान प्रमुखों के अलावा कई उद्योगपतियों व कार्यकर्ताओं के फोन नंबर शामिल हैं। दावा है कि 17 अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों की संयुक्त जांच में यह बात सामने आई है। हालांकि, केंद्र सरकार ने जांच को खारिज करते हुए इसे पूरी तरह से बेबुनियाद करार दिया है। केंद्र सरकार ने इसे भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने की साजिश करार दिया है। केंद्र के मुताबिक राष्ट्रीय हित से जुड़े किसी मामले को लेकर व्यक्तियों की निगरानी के लिए सरकारी एजेंसियों का पूर्वनिर्धारित प्रोटोकॉल है। इसके तहत केंद्र और राज्य सरकारों के शीर्ष अधिकारियों की अनुमति लेना अनिवार्य होता है। यही नहीं, पेगासस के इस्तेमाल को लेकर दाखिल आरटीआई पर केंद्र का जवाब भी निगरानी के दावों को निराधार ठहराने के लिए काफी है। वहीं इजरायली कंपनी ने भी रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल और फॉरबिडेन स्टोरीज का डाटा गुमराह करता है। यह डाटा उन नंबरों का नहीं हो सकता है, जिनकी सरकारों ने निगरानी की है। इसके अलावा एनएसओ अपने ग्राहकों की खुफिया निगरानी गतिविधियों से वाकिफ नहीं है।

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