सोनभद्र में दुष्कर्म के दोषी को 10 साल की कैद, 30 हजार का अर्थदंड भी

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सोनभद्र। जलाल हैदर खान
अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर-3 निहारिका चौहान की अदालत ने बुधवार को चार साल पूर्व हुए दुष्कर्म के मामले में सुनवाई करते हुए दोषी कन्हैया को दोषसिद्ध पाकर 10 साल की कैद एवं 30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक साल की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की आधी धनराशि 15 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र की पीड़िता ने जुगैल थाने में दी तहरीर में आरोप लगाया था कि वह जुगैल थाना क्षेत्र में स्थित कुडारी देवी के यहां से दर्शन करके वापस लौट रही थी। जब वह 20 अप्रैल 2017 को शाम 6 बजे गुजरी के जंगल में पहुंची थी तभी एक सफेद रंग की टबेरा वाहन आ गई और उसके चालक कन्हैया पुत्र शिवशंकर निवासी केवटा, थाना घोरावल, जिला सोनभद्र ने गाड़ी रोककर कहा कि कहां चलना है। हम राबर्ट्सगंज तक चलेंगे अगर चलना हो तो बैठ जाओ। उसके बाद वह वाहन में बैठ गई जिसे लेकर आगे अगोरी किला के पास सुनसान जंगल में पहुंचा तो वहीं पर वाहन को खड़ा कर दिया। उसके बाद बंद गाड़ी में उसके साथ छेड़छाड़ करने लगा और विरोध करने पर चाकू सटा दिया और यह धमकी दिया कि अगर चिल्लाओगी तो हत्या कर दूंगा। उसके बाद उसके इच्छा के विरुद्ध दुष्कर्म किया। इसीबीच बाइक से दो लोग आ गए तब वह वाहन से उसे धक्का देकर नीचे गिरा दिया और वह मौके से भागने में सफल हो गया। पुलिस ने तहरीर लेकर कुछ नहीं किया। उसके बाद एसपी सोनभद्र को रजिस्टर्ड डाक से शिकायती पत्र भेजा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उसके बाद पीड़िता ने न्यायालय में धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत अधिवक्ता के जरिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया। सुनवाई करते हुए अदालत ने प्रथम दृष्टया पर्याप्त आधार पाकर जुगैल थानाध्यक्ष को एफआईआर दर्ज कर विधि अनुरूप विवेचना का आदेश दिया। विवेचक ने पर्याप्त सबूत पाए जाने पर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी कन्हैया को 10 साल की कैद एवं 30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक साल की अतिरिक्त कैद भुगतनी पड़ेगी। वहीं अर्थदंड की आधी धनराशि 15 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता सत्यप्रकाश तिवारी ने बहस की।

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