हल्द्वानी, गौरव जोशी। दुर्लभ प्रजाति का डुमेरिल ब्लैक डेडेड स्नेक, कॉर्बेट से सटे जंगल में दिखा है। बैलपड़ाव रेंज से त्वरित अनुक्रिया दल व वन विभाग की टीम ने इस सांप को रेस्क्यू किया है। उत्तराखंड में सात साल पहले भी इस दुर्लभ सांप की उपस्थिति दर्ज की गई थी। इस दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। एसडीओ मनीष जोशी ने बताया कि इस सांप की लंबाई अधिकतम 18 से 20 इंच लंबी होती है। यह अपने काले सिर के नाम से जाना जाता है। बहुत सीधे स्वभाव का होता है। इसकी उपस्थिति उत्तराखंड में आम नहीं है, इसे दुर्लभ प्रजाति के रूप में देखा जाता है। वहीं सर्प विशेषज्ञ भवानी दत्त सती ने बताया कि डुमेरिल ब्लैक डेडेड स्नेक उत्तराखंड में सात साल पहले दिखा था। वर्तमान में उत्तराखंड में इसकी तादाद बढ़ने की संभावनाएं हैं।
मंगलवार को तराई पश्चिमी वन प्रभाग की बैलपड़ाव रेंज के ग्राम क्यारी के जंगल में अनुक्रिया दल के सदस्य भवानी दत्त सती व वन विभाग की टीम ने गश्त के दौरान इस सांप को रेस्क्यू किया। एसडीओ मनीष जोशी ने बताया कि पकड़े गए सांप के बारे में पता लगाया गया है। इसका वैज्ञानिक नाम सिबिनोफिस सबपंक्टेटस है। इसे डुमेरिल के काले सिर वाले सांप या जेरडॉन के कई दांतों वाले सांप के रूप में जाना जाता है। यह सांप मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, पंजाब, चंडीगढ़ आदि राज्यों में पाया जाता है। यह यहां कैसे पहुंचा, इस पर वन विभाग शोध करने की तैयारी में है। सर्प विशेषज्ञ भवानी दत्त सती ने बताया कि यह गैर विषैला सांप है। यह पथरीली जगहों व झाड़ियों में रहना पसंद करता है। यह सांप रात में शिकार करता है। इसका भोजन कनखजूरे, छोटी लिजार्ड्स आदि हैं।
